बलूचिस्तान में बड़ा उथल-पुथल: बलूच विद्रोहियों ने क्वेटा पर कब्जा किया, पाकिस्तानी सेना को बाहर किया

बलूचिस्तान

बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सरकार का नियंत्रण लगातार कमजोर होता जा रहा है, जिसका प्रमाण हाल ही में हुई चौंकाने वाली घटनाओं से मिलता है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के विद्रोहियों ने आज (9 मई, 2025) क्वेटा शहर पर कब्जा कर लिया है, जिससे पाकिस्तानी सेना को बलूचिस्तान से बाहर होना पड़ा है18। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान भारत के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तनाव बढ़ा रहा है और कई मोर्चों पर घिरा हुआ है18

रिपोर्ट्स के अनुसार, बलूच विद्रोहियों ने क्वेटा में पाकिस्तानी फ्रंटियर कोर के मुख्यालय पर हमला किया, जिसके बाद उन्होंने शहर पर नियंत्रण कर लिया18। पाकिस्तानी सेना के कैप्टन सफर खान चेक पोस्ट को क़म्बरानी रोड जंगल बाग, क्वेटा में अज्ञात व्यक्तियों द्वारा निशाना बनाया गया, जिसमें कम से कम दो विस्फोट हुए18। इसके अलावा, हजारा टाउन, किरानी रोड पर स्थित पाकिस्तानी सेना की चौकी पर भी हमला किया गया, जहां कई विस्फोट और गोलीबारी की आवाजें सुनी गईं18

हालिया हमले और बढ़ता विद्रोह

यह घटना अचानक नहीं हुई है। गत दिनों (8 मई, 2025) बलूच लड़ाकों ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सैन्य चौकियों, काफिलों और खुफिया ठिकानों पर समन्वित हमले किए थे17। ये हमले ऐसे समय में हुए जब पाकिस्तान “ऑपरेशन सिंदूर 2.0” के नाम से भारत से बाहरी खतरों को रोकने की कोशिश कर रहा था17।

बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने केवल एक दिन पहले, 6 मई को, बलूचिस्तान के बोलान और केच में दो अलग-अलग हमलों में 14 पाकिस्तानी सेना के कर्मियों को मार गिराने का दावा किया था15। मार्च 2025 में, BLA के लड़ाकों ने जाफर एक्सप्रेस नामक पाकिस्तानी ट्रेन को हाईजैक किया था, जिसमें कम से कम 40 पाकिस्तानी सुरक्षा कर्मी मारे गए थे15

पूर्व प्रधानमंत्री के चौंकाने वाले खुलासे

पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने हाल ही में (5 मई, 2025) एक साक्षात्कार में खुलासा किया था कि बलूचिस्तान पर पाकिस्तान की पकड़ कमजोर होती जा रही है, विशेष रूप से रात के समय15। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और मंत्री अशांत प्रांत में सुरक्षा एस्कॉर्ट के बिना यात्रा नहीं कर सकते हैं15

अब्बासी ने कहा, “प्रांतीय राजधानी क्वेटा में, अंधेरा होने के बाद, जमीन पर राज्य की उपस्थिति वस्तुतः गायब हो जाती है।” उन्होंने आगे कहा, “यह कानून और व्यवस्था का टूटना नहीं है। यह राज्य के फीके पड़ते अधिकार का संकेत है।”15

अब्बासी ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर के इस दावे का भी खंडन किया कि बलूचिस्तान में अशांति के लिए केवल 1,500 लोग जिम्मेदार हैं15। उन्होंने कहा, “यह स्थिति की गंभीर गलत व्याख्या है” और आगे जोड़ा, “1,500 लोगों को दोष देना वास्तविक समस्या से बचने का एक तरीका है। सच्चाई यह है कि राज्य अब बलूचिस्तान पर पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं है।”15

CPEC का प्रभाव और स्थानीय आक्रोश

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) बलूचिस्तान में तनाव का एक प्रमुख स्रोत रहा है19। आर्थिक विकास के वादों के बावजूद, स्थानीय बलूच समुदायों को CPEC परियोजनाओं से न्यूनतम लाभ मिला है, जिससे असंतोष पैदा हुआ है19

उदाहरण के लिए, ग्वादर बंदरगाह का विकास मुख्य रूप से चीनी और पाकिस्तानी निवेशकों को लाभ पहुंचाता है, जबकि स्थानीय मछुआरे चीनी डीप-सी फिशिंग ट्रॉलरों के कारण आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं19। CPEC परियोजनाओं की सुरक्षा के लिए, पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में सैन्य अभियानों को तेज किया है, जिससे मानवाधिकारों का उल्लंघन और जबरन विस्थापन हुआ है19

CPEC परियोजनाओं के लिए स्पेशल सिक्योरिटी डिवीजन (SSD) की स्थापना के कारण सैन्य चेकपोस्ट की संख्या बढ़ी है और जबरन गायब होने की घटनाओं की रिपोर्ट आई है19। बलूच विद्रोही समूह CPEC को शोषण का एक रूप मानते हैं, जिससे चीनी नागरिकों और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमले बढ़ गए हैं19

संयुक्त राष्ट्र की चिंताएँ

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने 29 अप्रैल, 2025 को बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी और अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्ण सम्मान का आह्वान किया था14

“हम बलूचिस्तान में सशस्त्र समूहों द्वारा उत्पन्न गंभीर खतरे को स्वीकार करते हैं और आतंकवाद के पीड़ितों के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त करते हैं,” विशेषज्ञों ने कहा। “आतंकवाद का मुकाबला करने के सभी उपायों को हमेशा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवीय कानून का सम्मान करना चाहिए।”14

विशेषज्ञों ने बलूचिस्तान में जबरन लापता होने के अनवरत उपयोग पर चिंता व्यक्त की, जो एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन और एक अंतरराष्ट्रीय अपराध है14। उन्होंने पाकिस्तान से जबरन गायब लोगों के भाग्य और ठिकानों की पहचान करने के लिए स्वतंत्र और प्रभावी खोज और जांच तंत्र स्थापित करने, जबरन गायब होने को अपराध घोषित करने और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया14

महिलाओं के नेतृत्व में विरोध

बलूचिस्तान में प्रतिरोध केवल सशस्त्र समूहों तक ही सीमित नहीं है। मेहरंग बलूच जैसी महिलाएँ भी विरोध के अग्रिम मोर्चे पर हैं15। कुछ बलूच महिलाएँ, जो कभी मूक पीड़ित थीं, अब हथियार उठा रही हैं और आत्मघाती हमलावर बन रही हैं15

आगे की संभावनाएँ

क्वेटा पर बलूच विद्रोहियों के कब्जे से पाकिस्तान के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती खड़ी हो गई है। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान पहले से ही भारत के साथ बढ़ते तनाव का सामना कर रहा है18

हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार, 8 और 9 मई की दरमियानी रात में पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों, जिनमें अमृतसर, जालंधर, जैसलमेर, उधमपुर आदि शामिल हैं, पर ड्रोन और मिसाइलें दागने की कोशिश की, जिन्हें भारत ने सफलतापूर्वक मार गिराया18

2024 में, बलूचिस्तान में पाकिस्तान के नागरिक और सैन्य सुरक्षा बलों के नुकसान में 2023 की तुलना में 40% की वृद्धि (383) देखी गई, यह आंकड़ा साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार है15

निष्कर्ष

बलूचिस्तान में हालिया घटनाओं ने पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्वेटा पर बलूच विद्रोहियों का कब्जा एक महत्वपूर्ण मोड़ है जो पाकिस्तान के इस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रांत पर नियंत्रण खोने का संकेत देता है18

पूर्व प्रधानमंत्री अब्बासी के अनुसार, यह स्थिति पाकिस्तानी राज्य के प्राधिकार के कमजोर होने का प्रतीक है15। जैसा कि घटनाएँ तेजी से विकसित हो रही हैं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस क्षेत्र में स्थिरता के लिए इसके निहितार्थों का आकलन करने के लिए सावधानीपूर्वक स्थिति पर नज़र रख रहा है।

क्वेटा की वर्तमान स्थिति पर पाकिस्तानी सरकार या सेना से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन स्थिति को देखते हुए बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई की उम्मीद की जा सकती है। इस बीच, बलूचिस्तान के नागरिक अनिश्चितता और असुरक्षा के माहौल में जीवन बिता रहे हैं।

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