S-400 मिसाइल सिस्टम: भारत की वायु रक्षा का अचूक कवच

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Kathmandu Nepal
Thursday, May 15, 2025
भारत ने हाल ही में पाकिस्तान द्वारा किए गए हवाई हमलों को सफलतापूर्वक विफल करने के लिए अपने अत्याधुनिक S-400 मिसाइल सिस्टम का उपयोग किया। इस लेख में हम S-400 की क्षमताओं, भारत में इसकी तैनाती और इसके रणनीतिक महत्व पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
S-400 Triumf, जिसे NATO द्वारा SA-21 Growler के नाम से जाना जाता है, रूस द्वारा विकसित एक मोबाइल, लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। यह प्रणाली विभिन्न प्रकार के हवाई लक्ष्यों जैसे कि लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन को 400 किमी की दूरी और 30 किमी की ऊंचाई तक प्रभावी ढंग से नष्ट करने में सक्षम है।
भारत ने 2018 में रूस के साथ लगभग ₹35,000 करोड़ (लगभग $5.4 बिलियन) का समझौता किया था, जिसके तहत पांच S-400 स्क्वाड्रन प्राप्त किए जाने थे। अब तक तीन स्क्वाड्रन भारत को मिल चुके हैं और शेष दो स्क्वाड्रन 2026 तक मिलने की उम्मीद है। इन स्क्वाड्रनों को भारत के उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर रणनीतिक रूप से तैनात किया गया है, जिससे पाकिस्तान और चीन से होने वाले हवाई खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सके।
8 मई 2025 को, पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिनमें अमृतसर, जम्मू, पठानकोट, और भुज शामिल थे। भारतीय वायु सेना ने S-400 मिसाइल प्रणाली का उपयोग करके इन हमलों को विफल किया। यह पहली बार था जब भारत ने S-400 प्रणाली का वास्तविक युद्ध स्थिति में उपयोग किया, और इसने 80% से अधिक हवाई खतरों को सफलतापूर्वक नष्ट किया।
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भारत ने S-400 प्रणाली के अलावा, स्वदेशी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (LRSAM) के विकास की योजना बनाई है, जिसे “प्रोजेक्ट कुशा” के तहत विकसित किया जा रहा है। यह प्रणाली S-400 की क्षमताओं को पूरक करेगी और भारत की वायु रक्षा को और मजबूत बनाएगी।
S-400 मिसाइल प्रणाली भारत की वायु रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुकी है। इसकी तैनाती ने भारत को पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों के हवाई खतरों से निपटने में सक्षम बनाया है। भविष्य में, स्वदेशी प्रणालियों के विकास के साथ, भारत की वायु रक्षा और भी मजबूत होगी।