सुप्रीम कोर्ट का बैलेट पेपर पर फैसला: क्या EVM पर सवाल उठाना जायज़ है?

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Saturday, Apr 5, 2025
Supreme Court on Ballot Paper: बैलेट पेपर की वापसी की याचिका खारिज, EVM पर भरोसा क्यों जरूरी है?
भारत में चुनाव प्रक्रिया को लेकर समय-समय पर बहस होती रही है। इस बार मामला सुप्रीम कोर्ट में उठा, जहां बैलेट पेपर की वापसी की मांग की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के महत्व पर जोर दिया। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने याचिकाकर्ता केए पॉल की दलीलों को खारिज करते हुए कुछ तीखे सवाल भी उठाए। आइए, जानते हैं कि इस मामले में क्या हुआ और EVM पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं।
केए पॉल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें चुनावों में बैलेट पेपर की वापसी की मांग की गई थी। उनका दावा था कि EVM में छेड़छाड़ की संभावना रहती है और इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होती है। उन्होंने यह भी कहा कि आंध्र प्रदेश के नेताओं जैसे चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने भी EVM की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कई कड़े बयान दिए।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ने भारत में चुनावी प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाया है। लेकिन इसके खिलाफ अक्सर तर्क दिए जाते हैं:
हालांकि, EVM के पक्ष में भी कई मजबूत तर्क हैं:
केए पॉल एक सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन के अध्यक्ष हैं, जिन्होंने 3 लाख से अधिक अनाथ बच्चों और 40 लाख विधवाओं का पुनर्वास किया है। उनके सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें सराहा गया है, लेकिन राजनीति में उनकी भागीदारी को लेकर सवाल उठते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके इस मामले में हस्तक्षेप को अनुचित बताया और उन्हें अपने कार्यक्षेत्र तक सीमित रहने की सलाह दी।
पॉल ने याचिका में इन नेताओं का हवाला दिया, जिन्होंने EVM की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये नेता चुनाव हारने के बाद EVM पर सवाल उठाते हैं, जबकि जीतने पर चुप रहते हैं।
भारत में बैलेट पेपर से EVM पर शिफ्ट एक बड़ा कदम था। बैलेट पेपर की वापसी के पक्ष में तर्क देना लोकतंत्र के डिजिटल विकास को पीछे ले जाने जैसा है। हालांकि, अगर EVM में सुधार की जरूरत है, तो इसे संबोधित किया जा सकता है, लेकिन बैलेट पेपर की ओर लौटना व्यावहारिक समाधान नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत में चुनावी प्रक्रिया की मजबूती को दर्शाता है। EVM पर सवाल उठाना तब तक जायज़ नहीं है, जब तक इसके पक्ष में ठोस सबूत न हों। बैलेट पेपर की वापसी का मुद्दा केवल समय और संसाधनों की बर्बादी है। लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए EVM का उपयोग जारी रखना चाहिए, साथ ही इसमें सुधार और पारदर्शिता को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
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